6/13/2013

दुबई(अब बस मन भर गया )

दुबई
यंहा दुबई मैं  मुझे यंहा पर 10 महीने ही हुए हैं ! यंहा का माहोल क़तर से बहुत बढ़िया है घुमने  लायक जगह है ये यंहा सबसे पहेले मेरे दादाजी ३० साल पहले ए थे उसके बाद मेरे बड़े बाबा (ताउजी) गए उके बाद मेरे मेरे पिताजी और चाचा  गए और अब मैं और पिताजी यंहा साथ हैं .मुझे यंहा पिताजी ने ही बुलवाया है अपने दोस्त से वीजा लेकर .
दुबई एक बहुत सुन्दर देश है यंहा की सात राज्य हैं जैसे .अबुधाबी,सरजाह,फुजेरा ,अलीन ,रास.अलखीमा ,दुबई.उमल क्वीन जैसे सता राज्य हैं .
यंहा कई देस्यों के लोग रहते हैं जैसे .भारत ,पाकिस्थान .श्रीलंका .प्फिलिफिंस ,और भी कई देशो के लोग अगर सभी ही लिखूंगा तो ये पेज उन्ही से भर जायेगा .
यंहा सबसे ज्यादा जनसंक्या भारतियों की है .भारतियों में सबसे ज्यादा दक्षिण भारतीय लोग यंहा पर हैं .जिन्हें मल्वारी कहा जाता है .इन लोगों की चाय की दुकानों से लेकर सोने और कापड़ी की दुकाने हैं .यंहा जिन्दगी काफी तेज किसी के पास वक़्त नहीं है .लोग पास पास में रहते हुए भी हफ़्तों नहीं मिल पाते हैं .यंहा पर हर कम होता है .जुर्म की दुनिया का मैं अड्डा है दुबई .यंहा मुझे काफी लोग असे मिले जीने २० -२० साल हो गयें हैं घर नहीं गये हैं .कुछ दिन पहले की बात है मैं ड्यूटी पर था और एक बुजुर्ग मेरे पास आया और बोला बेटा कुछ पैसे हैं तो दो दवाई लेनी है .बदकिस्मती से मुझे भी तनख्वाह नहीं मिली थी फिर भी मैंने उसे किसी से लेकर १० दिहराम दिए और पूछा बाबा यंहा कान्हा रहते हो .कान्हा के हो .उसने कहा बेटा मैं पाकिस्थान के पुनाब स्यालकोट का रहने वाला हूँ .आज से काफी साल पहले यंहा आया था .और तब से यंही हूँ
मेरी बीवी और बेटे मुझे घर नहीं आने देते हैं .मैंने पूछा क्यूँ बाबा एसा क्या हुआ उसने कहा जब मैं जवान था और पैसे भेजता था तब तक ठीक और अब बूढ़ा हो गया हूँ और काम कर नहीं सकता .सिर्फ दवाई के सहारे दिन निकल रहा हूँ ऊपर वाला मौत भी नहीं देता .मैंने कहा बाबा खाना खाओगे उसने कहा बेटा बड़ी मेहरबानी होगी .
उस बुजुर्ग को देख कर मुझे अपने दादाजी की यद् आगयी जिनके मरने के वक़्त मैं उनके साथ न था .उनकी अर्थी को कन्धा न दे सका मैं क्या मेरे पिताजी और मेरे चाचा भी नहीं जा सके थे उस वक़्त  हम लोग क़तर में थे .उस बुजुर्ग को मैं एक होटल में ले गया और कहा इस बाबा जो भी खाना है देदो पैसे मैं दूंगा
उस बाबा ने एक रोटी और दल ली और बोला बेटा मैं घर जाकर नमाज पढूंगा और बाद में खाऊंगा .अज्ज की नमाज में तुम्हारे लिए दुआ करूँगा
मैं काफी खुस हो गया किसी बुजुर्ग आदमी से असिर्वाद पाकर .
मैं अपने दादाजी को बहुत यद् करता हूँ .जब मैं पहली बार क़तर जा रहा था तो उन्होंने कहा बेटा अभी मत जा मैं तुम्हे दुबारा नहीं मिलूँगा .जब मैंने कहा दादाजी मैंने पैसे जमा करवा दिए है अब तो जाना पाडगा .फिर वो रोज मुझे अरबी जबान सीखते रहते .पानी को (मोया) बोलते हैं मिटटी कोई (रंबल) बोलते हैं इसे से कुछ नाम सिखाते थे जब मैं आज अरबी जबान का मास्टर हो गया हूँ तो आज वो इस दुनिया मैं नहीं हैं .मेरी काफी तमन्ना थी उनके साथ अरबी मैं बात करने की पर किस्मत मंजूर नहीं हुआ 
उनसे दुबारा मुलाकात ही न हो सकी .मेरे लिए यह बात हमेसा ही मेरे दिल में रह गयी सब लोग उनसे आकार मिल गए थे मेरे चाचा और पिताजी भी छुट्टी ललकार अगये थे उन्हें देखने के लिएइनके जाने बाद उन्होंने दम तोडा मेरे लिए काफी पूछा उन्होंने आखिर तक कहते रहे वो नहीं आया अभी तक इस उमीद पर उन्होंने इ महीन निकल दिया बाद में किसी बुजुर्ग आदमी ने कहा की ये उनका इंटर कर रहें हैं इनसे कह दो की वो नहीं आ सकते हैं ,फ्हिर किसी ने उन्हें बता दिया ओए उशी दिन उन्होंने दम तोड़ दिया .
मुझे पिताजी ने घर नहीं जाने दिया वो कह रहे तुम और तुम्हारे  चाचा गाँव में जाओ दादाजी का दाहसंस्कार कर दो मैंने और चाचा ने मना कर दिया चलेंगे तो सब साथ चलेंगे  नहीं तो कोई नहीं जायेगा फिर पिताजी ने कहा तो चलो जब केहलने के लिए हुए तो कम्पनी ने पासपोर्ट वापिस नहीं दिया और इन्ड्या नहीं जा सके.मैं काफी नाराज था पिताजी से न खुद जा सके और न मुझे जाने दिया वो बात अब भी मुझे याद अति है तो दिल बहुत रोता है .बस येही जिन्दगी हैं हम परदेसियों की .जो गाँव के कुछ मेरे दोस्तों को समझ में नहीं अति है वो सिर्फ ये ही  कहते हैं की एक बार तो विदेश में जाना ही है .ये एक एसा जल की आदमी यंहा आने के बाद वापीस की तरफ सोच भी नहीं सकता .उदारहण के तोर पर मेरे पिताजी को ही देखिये उन्होंने अपनी जिन्दगी के १६ साल यंहा पराये देश में गुजर दिए हैं .बस ये है हमारी कहानी जो मैंने आपको पुरे तरीके के साथ बता दी है 
अगर कुछ गलत है तो कुर्प्या माफ़ करना 
   
   
 
 
     अनिल कुमार बीड़ानियां
   UAE(ABUDHABI) 
जय राजस्थान जय राजस्थानी              
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